पद्म श्री विनायक लोहानी की Story

आइए जानते हैं Vinayak Lohani जी के बारें में जिन्हें साल 2024 का पद्म श्री अवॉर्ड मिला है,यह अवॉर्ड उन्हें सोशल कैटेगरी में Tribal Children के लिए कार्य करने की वजह से मिला…

परिचय

 

जन्मस्थान : पश्चिम बंगाल

जब देश के युवा उच्च शिक्षा प्राप्त कर बड़े बड़े कारपोरेट जॉब की ओर दौड़ते हैं,उस समय कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपना जीवन समाज को समर्पित कर दिया। ये कहानी है श्री विनायक लोहानी जी की, जिन्होंने IIT और IIM से पढ़ाई करने के बाद गरीब और अनाथ बच्चों के लिए काम करने का संकल्प लिया।

 

पढ़ाई : IIT खड़गपुर से बीटेक,IIM कलकत्ता से MBA

संस्था: “परिवार “

शुरुआत – ” परिवार ” संस्था की स्थापना

साल 2003 में कोलकाता के पास एक छोटे से किराए के घर में उन्होंने सिर्फ 3 बच्चों के साथ “परिवार” की शुरुआत की। आज यह संस्था 2,000 से अधिक बच्चों का स्थायी आवासीय परिवार बन चुकी है। पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में सैकड़ों शिक्षा केंद्र और सेवा कुटीरों के माध्यम से लाखों लोगों तक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रही है।

प्रेरणा – स्वामी विवेकानंद का प्रभाव

विनायक लोहानी स्वामी विवेकानंद और श्रीरामकृष्ण परमहंस के विचारों से अत्यधिक प्रभावित हैं। उनका मानना है कि “जन्म सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों की सेवा के लिए हुआ है।” यही सोच उनके जीवन और संस्था की नींव बन गई।

2025 में मिला पद्मश्री सम्मान

भारत सरकार ने 2025 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा। यह सम्मान उन्हें “सामाजिक कार्य” के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया। यह न सिर्फ उनकी संस्था की सफलता का प्रतीक है, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं।

परिवार संस्था की विशेषताएँ

पूरी तरह निशुल्क शिक्षा, पोषण, आवास और स्वास्थ्य सेवाएं

नशा, बाल श्रम, भिक्षावृत्ति और अत्याचारों से बचाए गए बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण

मध्य प्रदेश में 1000+ सेवा कुटीर जहाँ बच्चों को पढ़ाया और भोजन कराया जाता है

संस्था का संचालन मुख्यतः भारतीय नागरिकों से मिलने वाले दान से होता है, न कि विदेशी फंड से

अन्य सम्मान और उपलब्धियाँ

राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार (2011)

IIT और IIM से डिस्टिंग्विश्ड अलुमनस अवार्ड

संस्कृति अवार्ड, स्वामी राम मानवता सम्मान आदि

 

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